दुनिया के सभी विज्ञानी और डाक्टरों के पास है नहीं है इस बीमारी का इलाज
‘अछूत’ जातीवाद…
भारत ने कई भयंकर महामारियाँ झेली हैं जैसे प्लेग (Bubonic Plague), हैज़ा (Cholera), चेचक (Smallpox), डेंगू (Dengue),कोरोना (covid) पर एक ऐसी बीमारी भी है जिसका इलाज न किसी डाक्टर के पास है न ही इस बीमारी का कोई लैब टैस्ट है और न ही इसकी कोई विज्ञानिक पुष्टी है, हमने कभी किसी लेबोरेटरी में यह टैस्ट नहीं देखा कि किसी को छू लिया हो या उनके घर के आंगन में कदम रखने से किसी को कोई भयंकर बीमारी या मौत आ गई हो, यह वो बीमारी है जिसको दिमाग से बीमार लोग बोलते है, ‘अछूत’ जातीवाद…
भारत में लगभग 1000 वर्षों से चल रही यह बीमारी ने औरत, बच्चा, बुर्जुग किसी को नहीं छोड़ा। हम आज इतना पढ़ लिखकर अभी भी इस घटिया बीमारी का शिकार है जिसका नाम है ‘जातीवाद’। मुझे लगता है यह बीमारी भारत से ही शुरू हुई है और अब खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहीं । ऐसी ही शर्मनाक घटना देखी 18 अक्तूबर को शिमला में एक 11 साल का बच्चा खेलते- खेलते अपने आप को ऊंची जाती के नीच व्याक्ति ने उस बच्चे पहले दंड देने लिए उसको तबेले में बंद रखा । उसे इतना प्रताड़ित किया कि वो बच्चा अपने घर गया और जाकर सुसाइड कर लिया । ऐसा क्या ही हो गया होगा उनके घर की एक बच्चे के घर कदम पड़ जाने से उसको अपनी जान देनी पड़ी।
ऐसा ही हुआ एक आईजी वाई पूरन कुमार के साथ उन्हे भी छोटी जाति में पैदा होने पर इतने बड़े रैंक पर पहुंच कर भी उन्हें इतना प्रताड़ित किया गया की उन्होंने अपने आप को गोली मार ली। हमे यह समझना चाहिए यी भारत आगे आ रहा है या 1000 वर्षों पीछे जा रहा है। सोचने वाली बात यह है कि अगर इतना पढ़ लिखकर भी आपके दिमाग में यही गंदगी फसी हुई है तो पढ़ा लिखा क्या और अनपढ़ क्या। यह सब घटनाएं समाज बांटने काम कर रही है।
हिंदआर्टिस्ट / www.hindartist.com
