लाल चट्टक रंग की लिपस्टिक लगाए हुए और अर्धनगन कपड़े पहने हुए कुछ पैसों के खातिर इस धंधे में आने के लिए मजबूर औरतें अपना और अपने बच्चों का पेट भरने के लिए लोगो की हवस का शिकार होती है. इस धंधे में कोई भी अपने शौंक से नहीं आता या तो उन्हें धकेला जाता है या फिर उनके घर के हालात ऐसे हो जाते हैं कि उनका इस दलदल में जाना एक मजबूरी बन जाती है और लोगों की नज़रो में एक शौंक.
अब बात उनके बच्चों की करें तो उनको समाज में वो सम्मान नहीं मिलता जो की आम बच्चों को मिलता है। हाल ही में अदालत ने आदेश दिया कि अगर सेक्स वर्कर का दावा है कि, वह उसका बेटा या बेटी है तो सच पता करने के लिए टेस्ट किया जा सकता है. अगर सेक्स वर्कर का दावा सही है तो नाबालिग को जबरन अलग नहीं किया जाना चाहिए.
अदालत के आदेश अनुसार अगर सेक्स वर्कर किसी ऐसे अपराध को लेकर शिकायत दर्ज करवाए जो यौन उत्पीड़न से जुड़ा हो तो उनके साथ भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए. यौन उत्पीड़न पीडि़त सेक्स वर्कर्स को तुरंत चिकित्सा और कानूनी देखभाल समेत हर सुविधा दी जाए.