डिजिटल-जासूसी-Digital

डिजिटल जासूसी

आज के युग में तकनीक ने हर कोने को छू लिया था। हर हाथ में स्मार्टफोन, हर गली में वाई-फाई। ऐसे ही बदलती दुनियां में उभरा था एक नया सितारा।
नीरज एक 26 वर्षीय यूट्यूबर जो सीमावर्ती क्षेत्रों की यात्रा करता और अपने चैनल पर वीडियो डालता और देश के कई सैंसटिव जगहों का वीडियो निकालकर इधर-उधर भेजता। वो वीडियो नही देश को कहीं न कहीं ऐसी मौत में झोंक रहा था जिसका अंदाजा लगाना बहुत ही मुश्किल है। पैसे के लालच में वो समझ नहीं पा रहा था की मैं किसी बढ़ी घटना को अंजाम दे सकता हूं। भीड़ भाड़ वाले इलाके और हमारे डिफैंस सिसटेम सभी चपेट में आ रहे थे, हम बात कर रहे हैं नीरज की जो पैसो के लालच में देश को मौत की तरफ झोंक रहा था…..

नीरज जब भी वीडियो डालता तो उसमें अनदेखी जगहें होती थीं : बर्फ से ढके बंकर, नाकेबंदी वाले गाँव, सैना की गतिविधियाँ, और साथ में उसकी टिपणियाँ जो दर्शकों को रोमांचित कर देती थीं। देशभक्तों ने उसे “डिजिटल वीर” की उपाधि दे दी थी। लेकिन जो कोई नहीं जानता था, वो ये कि नीरज सिर्फ यूट्यूबर नहीं था। वो एक डिजिटल जासूस बन चुका था, अनजाने में।

शुरुआत
सब कुछ एक ईमेल से शुरू हुआ।
“Hi Neeraj, We love your work. Can we collaborate?”

नीरज खुश हो गया। उसे ऑफर मिला: हर वीडियो के लिए $1000, बस उन्हें रॉ फुटेज भेजनी होगी, बिना एडिट के। उसने चैनल का नाम सुनकर सोचा, यह कोई विदेशी मीडिया कंपनी है। उसे क्या पता था कि उस नाम के पीछे एक देश ऐसा है जो खुफिया नेटवर्क हमारे देश की सीमाओं की गतिविधियाँ डिजिटल माध्यम से इकट्ठा कर रहा था।नीरज हर वीडियो के साथ GPS लोकेशन ऑन रखता, और वो वीडियो सीधे उनके सर्वर पर पहुँच जाती।

संदेह

एक दिन उसके चैनल पर एक कमेंट आया,
“भाई, ये बंकर की लोकेशन दिखाना ठीक नहीं है। दुश्मन सब देख रहा है।”

नीरज ने इसे नजरअंदाज़ कर दिया। लेकिन उस रात एक कॉल आया —
“यह मिलिट्री इंटेलिजेंस से बोल रहा हूँ। आपको कल सुबह हमारे ऑफिस आना है।”

सच का सामना

नीरज को दिल्ली बुलाया गया। वहाँ बैठा था मेजर।
“तुम्हारे चैनल की वजह से LoC के पास बनी एक नई चौकी पर हमला हुआ। और तुम्हारे वीडियो की वजह से उसकी लोकेशन दुश्मन तक पहुँची।”

नीरज हिल गया। “पर सर, मैं तो सिर्फ वीडियो बनाता हूँ… मुझे क्या पता था कि वो लोग…”

मेजर ने एक लैपटॉप घुमाया। उनकी वेबसाइट दिखाई जो आतंकियों के संपर्क मे थी।
“जो तुम्हें पैसा दे रहे थे, वही देश को बेच रहे थे। और तुम उनका माध्यम बन गए।”

पछतावा

नीरज को गिरफ्तार नहीं किया गया, लेकिन उसे एक शर्त पर रिहा किया गया। वो अब एक “डिजिटल वॉचडॉग” बनेगा। ऐसे ही दूसरे डिजिटल जासूसों को ढूंढने में मदद करेगा। अब नीरज के वीडियो बदल गए थे। वो सीमावर्ती इलाकों की सुरक्षा की बात करता, लोगों को बताता कि “डिजिटल देशभक्ति सिर्फ अपने देश का झण्डा से नहीं होती, बल्कि देश की संवेदनशील जानकारी को सुरक्षित रखने से होती है।” उसका नया चैनल था — “Eyes Open”

अंतिम शब्द

आज जब भी कोई सीमावर्ती जगह पर मोबाइल से लाइव जाता है, एक चेतावनी पॉपअप आता है।“क्या आप देश की सुरक्षा खतरे में तो नहीं डाल रहे?” और नीचे छोटे अक्षरों में लिखा होता है। “इस चेतावनी के पीछे एक कहानी है, एक यूट्यूबर की जो अनजाने में देश के खिलाफ इस्तेमाल हुआ, पर फिर उसने खुद को देश की रक्षा के लिए समर्पित कर दिया।”

संदेश
हमेशा आप यह ध्यान दे की आपको sms के जरिए और email के जरिए आपको जोड़ने के लिए अलग-अलग लालच दिए जाते है कभी भी वो काम न करें जिससे आपको और देश को कोई नुकसान हो। देश को नुकसान मतलब आपको नुकसान।

 

हिंदआर्टिस्ट / www.hindartist.com

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